जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे!
आर्ट ऑफ़ रीडिंग का आप की तरफ़ से जो स्वागत हुआ है उसके लिये हम आपके आभारी हैं।
आज सुनिये विनोद कुमार शुक्ल की कविता "जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे". आवाज़ अतुल आर्य की है जिन्हें आप द नेशनल ज्योग्राफ़िक चैनेल, द हिस्ट्री चैनल और द डिस्कवरी चैनेल पर सुनते हुए ख़ूब पहचानते हैं.
फ़ोटो सौजन्य: निर्मल-आनंद
Comments
मेरे शहर राजनांदगाँव में ही हुआ था....
बहरहाल वे रायपुर में रहते हैं.
बरबस खिंचा चला आया इस पोस्ट की तरफ़
एक ज़रूरी काम की तरह !
आपका आभार=====================
डा.चंद्रकुमार जैन