सुनिये "ये कौन सख़ी हैं जिनके लुहू की अशरफ़ियाँ छन-छन-छन-छन"


अपने हिंदुस्तान में इस तरह की साहित्यिक प्रस्तुतियाँ कहाँ हैं, ये आप हमें बताएंगे।
फिलहाल आइये सुनिये फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की एक नज़्म में आर्ट ऑफ़ रीडिंग और मलिका पुखराज को।
पुरुष स्वर किसका है ये बात सीडी का फ़्लैप खो जाने से मुझे याद नहीं रही। कोई बताए तो दर्ज कर दूँगा.

"ये कौन सख़ी हैं जिनके लुहू की अशरफ़ियाँ छन-छन-छन-छन"

Comments

सुन तो नही पा रहे...लेकिन महसूस कर रहे हैं... लहू की अशरफ़ियाँ आवाज़ कैसे करेगी.... इंतज़ार है...
उर्दू भाषा के अल्फाज़ किस तरह बोले जाने चाहीये ये जानना हो तब मल्लिका जी को सुनिये --
पुरुष आवाज़ भी
वज़नदार और रौबदार है -
बहुत अच्छा लगा !

-लावण्या
शायदा said…
शानदार।
Ashok Pande said…
बेहतरीन!
Pratyaksha said…
बहुत पहले मलिका पुखराज का कैसेट खरीदा था ..ये गाना था उसमें ..कैसेट अब भी है ,,पर पुरुष स्वर का नाम उस पर भी नहीं .. मलिका पुखराज की आवाज़ के क्या कहने
बहुत खूब, ऐसे भूले बिसरे गीत सुनाते रहें....अच्छा लगा।
Anonymous said…
Katon, Goukakyu no jutsu.

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