दो बाँके


आज पेश है भगवती चरण वर्मा की कहानी दो बाँके. आवाज़ है हमारी साथी अपर्णा घोषाल की.
अवधि कोई पंद्रह मिनट.

डाउनलोड करने के लिये लिंक ये रहा.

Comments

Neeraj Rohilla said…
बहुत बढिया,

मेरी लैब में मेरा पडौसी कलकत्ता से है लेकिन हम लोग उसे मौज मौज में बांके कहते हैं । पता नहीं था कि बांके लखनऊ के ही होते हैं :-)

इतनी अच्छी क्वालिटी में पाडकास्ट कैसे बनाते हैं । माईक को लगभग कितनी दूर रखकर रेकार्ड करना चाहिये ?
इरफान भाई, आपने डाउनलोड के लिये देकर बहुत ही अच्छा किया.
प्रस्तुति, धारदार, शानदार और जानदार है.
sanjay joshi said…
Sundar prastuti hai. Mujhe to lagata hai ki blog ke jariye faltu ki panchayat ke bjay asia hi kuch to sabka bhala ho. mubarakbaad.
बहुत बढिया,प्रस्तुति जानदार है, साहित्य को ईस अंदाज में पेश करना वाकई काबिले तारीफ है।

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