पत्ता तुलसी का



ये है राजेश जोशी की कविता "पत्ता तुलसी का" इरफ़ान की आवाज़ में.

Comments

Udan Tashtari said…
बहुत उम्दा प्रस्तुति.
बहुत खूब-एक बात खटक रही है बस, अन्यथा न लें- खूबसूरत आवाज़ मे ये अलग से जोड़ी गयी " गूंज" कुछ ज़्यादा है शायद
अच्छा है...जारी रहे तो बेहतर होगा....रोज़ हो तो बेहतरीन होगा...फोकट की मजदूरी उतनी ही करें, जितना कर सकें, बिना कष्ट के...
वर्ना हमारे जैसे फोकटिया सुधीजनों की कमी नहीं है...कहने का तात्पर्य ये है कि आपका काम प्रोफेशनल है लेकिन पइसा माँगते ही लोग...साहित्य को दूर तक पहुँचाने में साहित्य का आपका चयन मेरी पसंद से अलग होगा इसका अंदेशा नहीं है इसलिए आपसे उम्मीद करने में कोई ख़ास जोखिम नहीं है.
आपकी मेहनत और रंग लाए, यही शुभकामना है.
@पारुल:

मैंने गूँज थोडी कम की है. गूँज हटाऊँगा नहीं हालाँकि यूनुस भाई ने भी शिकायत की है. एक बार फिर सुनिये और रिपोर्ट दीजिये.

@उडन तश्तरी: धन्यवाद

@ अनामदास: भाई हिम्मत बँधी.
arey mast hai bhai! par voice Shayda vaali badhiya rahi.
वाकई बहुत ऊम्दा प्रस्तुति है । कविता के शब्द गजब के हैं ।

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