केशव अनुरागी


मंगलेश डबराल की कविता केशव अनुरागी बीते बरसों में ख़ासा चर्चा में रही. सुनिये उन्हीं की आवाज़ में केशव अनुरागी.यह कविता कोई पाँच साल पहले मैंने दिल्ली में मंगलेशजी के घर पर कई दूसरी कविताओं के साथ रिकॉर्ड की थी. अवधि कोई तीन मिनट है. पोस्ट प्रोडक्शन भी मैंने ही किया है.

Comments

इरफ़ान भाई निश्चित ही अपने आप में विशिष्ट है आपका ये काम तो. जहां एक ओर लोग चकलस में व्यस्त हैं, ऎसे में आपके काम को देखना और सुनना सुकून दे रहा है. बधाई आपको भी और मंगलेश जी को भी, उनकी खुद की आवाज में कविता को सुनना एक दुर्लभ अनुभव है.
बधाई इरफान भाई, इस अद्भुत प्रयोग के लिए। मंगलेश जी की कविता "केशव अनुरागी" को उनके स्वर में सुनना अच्छा लगा।
कविता कुछ ज्यादा जमी नहीं। हो सकता है कि मेरे समझने मे कुछ कमी हो , या कुछ और लेकिन मेरा मत तो यही है। आगे और कविताऐं सुनू तो शायद बेहतर जान सकूं।
bahut adhbhut hai bhai aapka kaarnama...



wakai!!

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