इरफान और मुनीश,आपका यह प्रयोग बेहद शानदार है और उसी के अनुसार ब्लॉग का गेटअप भी है, उम्मीद है इसमें अच्छी कहानियां, कविताएं और गीत आदि सुनने को मिलेंगे
The whole credit goes to Irfan friends! I just enjoy loud reading and he got me on tape ,but it involved a lot of post production technical work as well . Its great to live in the times of Irfan!He is beyond comparison in Hindi Broad/Podcasting today!
पिछले दिनों मैंने स्वयं प्रकाश की यह कहानी आपसे माँगी थी. हमारे ब्लॉगर साथी मोहन वशिष्ठ ने इसे मुझे मुहैया कराया है. उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए यह कहानी उन्हें ही सादर भेंट की जाती है. कोई दस साल पहले जब सहमत ने सांप्रदायिकता विषयक कहानियों का एक संग्रह छापा तभी इस कहानी पर मेरी नज़र गई थी. इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद मचे क़त्ल-ए-आम की यह दस्तावेज़ी कहानी है. कई मायनों में यह एक समकालीन कहानी, मानवता के संकटों को सामने लाती है। Part-1 10 min approx Part-2 10 Min approx स्वर इरफ़ान का है और साथ में हमारे साथी मुनीश इसे कई जगहों पर प्रभावकारी बना रहे हैं। अवधि लगभग बीस मिनट.
Comments
इतने सुन्दर कार्य के लिए बधाई। कहानी को पढ़ने से भी ज्याद मज़ा सुनने में आया। इसी प्रकार प्रसिद्ध कहानियाँ सुनवाएँ। सस्नेह