मोहब्बत के रंग: रसीदी टिकट से एक और हिस्सा
अमृता प्रीतम का प्यार कितनी तहों से झाँकता है और कितनी परतें उसे ढँकने आती हैं...ये बात रसीदी टिकट पढते हुए बख़ूबी समझी जा सकती है...एक पिछडे और वर्जनाओं से भरे समाज में अमृता प्रीतमों की शरणगाह शब्द हैं जो साहित्य होकर भी साहित्य की मान्यताओं के सामने रोडे अटकाते हैं. सुनिये सज्जाद ज़हीर से अमृता प्रीतम की वाबस्तगी का दर्द-
Comments
"Namaskar,
Aapka naam nahi jaan payee,aise aawaz bhi insan ki pahchan hoti hai. Hamne aapki audio reading suni.Khud bhi padhi hai maine Amritajee ki yeh aatmkatha.Kya aap mujhe bata sakte hain ki is audio clipping ko hum kisi tarah download kar sakte hain,taki in hission ko apne vaqt ki hisab se bina computer ke samne baithe suna ja sake.Hamein aapke uttar ki pratiksha hogi.
Smiti Mishra"
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S.B.A.
TSALIIM.
Pl. visit my blog & see my latest photograph.
In first steps it's very good if someone supports you, so hope to meet friendly and helpful people here. Let me know if I can help you.
Thanks and good luck everyone! ;)
आज आपके सारे ब्लोग्स देखे , और सच में मैं बहुत impress हुआ . आपकी मेहनत और आपकी पारखी नज़र की दाद देता हूँ . और अब आते रहूँगा आपके ब्लॉग पर .
धन्यवाद.
बधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html