आर्ट ऑफ़ रीडिंग में वादे के मुताबिक़ हम हाज़िर हैं अपनी इतवार की ख़ास पेशकश के साथ. हमने नज़र दौडाते हुए शायदा के ब्लॉग पर मौजूद उनकी पहली पोस्ट को चुना है. इस पोस्ट को आप मातील्दा नाम के ब्लॉग पर पहले पढ चुके हैं और सराह भी चुके हैं. अब लीजिये इरफ़ान की आवाज़ में इस पोस्ट को सुनिये और अगले इतवार का इंतज़ार कीजिये, जब आपकी भी कोई पोस्ट यहाँ पढी जा रही होगी. अवधि कोई साढे तीन मिनट है. डाउनलोड करके सुनने के लिये लिंक यहाँ है। एक घर, जो हवा में तैरता है
Comments
:-))
शान्दार,जबर्दस्त,impressive,entertaining,
classy,captivating.brilliant.
and welcome back jee.
पढ़ने की यह कला मुझे भी भाती है, अल्फाज़ों, हर्फों, का इतना सही उच्चारण बहुत आकर्षित करता है...
१- इन्ग्लिश्तान का मौसम इतना गलीज ना होता
२- हम कभी किसी ऐसी चीज़ पर नहीं बैठते जिसपर लेट नहीं सकें
३- हँसते तो मालुम होता तवा हंस रहा है...
और क्या क्या निकालूं ... बस मज़ा आ गया... दिन बना दिया अपने
और चाहिए.
इरफ़ान सर आबे-गुम बहुत दिन पहले पढी थी हिन्दी में. आज सुन कर याद बेतरह ताज़ा हो आयी. आप क्या और नहीं सुनवायेंगें? फिर से पढ़ने का मन कर रहा है. पर किताब न जाने कहाँ गयी, कौन ले गया. क्या आप बता सकेंगें कि हिन्दी वाली किताब कहाँ से मिलेगी?
मृत्युंजय